प्रवासी मजदूर के घर वापसी का सच
भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गावों में निवास करती है, लेकिन गावों में रोजगार की उपलब्धता नहीं होने के कारण यहां से लोग रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन करते हैं, इनमें से अधिकांश लोग अप्रशिक्षित कामगार होते हैं, और मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, जिन्हें प्रवासी मजदूर कहा जाता है।
हमारे देश के अधिकांश प्रवासी मजदूर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान से हैं जिनकी संख्या दस करोड़ से भी अधिक है। अधिकांश प्रवासी मजदूर तमाम महानगरों और बड़े बड़े शहरों में निर्माण कार्यों एवं अन्य असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। देश के कुल श्रम शक्ति का पांचवां हिस्सा इन प्रवासी मजदूरों का है तथा ये प्रवासी मजदूर राष्ट्र के जीडीपी (GDP) में 6 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं। यही कारण है कि, इन प्रवासी मजदूरों को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है। लेकिन इन प्रवासी मजदूरों के हालात किसी से छिपे नहीं है। इनका ना तो खाने का ठिकाना होता है और ना ही रहने का, जो मिल गया खा लिया, जहां काम मिला वहीं ठिकाना बना लिया।
› प्रवासी मजदूर पर लॉकडाउन की मार
लॉकडाउन के कारण तमाम कल कारखाने, निर्माण कार्य, उद्योग धंधे आदि बंद पड़े हैं, कोरोना वायरस की अनिश्चितता के कारण स्थाई कर्मचारियों को भी उनकी नौकरी से निकाला जा रहा है, ऐसी स्थिति में प्रवासी मजदूरों को काम मिलना लगभग बंद हो गया है।
› सरकार द्वारा सहायता की घोषणा
तमाम राज्य सरकार, अपने यहां रह रहे तमाम प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य असंगठित क्षेत्र के कामगारों को रहने एवं खाने की समुचित व्यवस्था, मुफ्त राशन तथा 500/- से 5000/- रूपए तक नकद राशि देने की बात कर रहे है। नकद राशि मजदूरों के बैंक खाते में डालने की बात कही गई है।
› प्रवासी मजदूर के घर वापसी की मांग
सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए रहने, खाने आदि की व्यवस्था कराए जाने के बावजूद, इनके घर वापसी की मांग उठनी शुरू हो गई। लेकिन इतनी बड़ी संख्या, दूरी तथा कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की आशंकाओं के कारण, जो जहां है, उन्हें वहीं रहने की सलाह दी गई है। लेकिन, सरकारी सहायता तथा वहीं रहने की सलाह, प्रवासी मजदूरों को घर वापसी से रोकने में कामयाब नहीं हो पाया। लॉकडाउन के कारण, यातायात के तमाम साधन बंद पड़े थे, ऐसी स्थिति में भी, कई स्थानों से इन प्रवासी मजदूरों के पैदल ही अपने गाँव की ओर चल पड़ने की खबरें सामने आने लगी।
› प्रवासी मजदूर के पलायन का क्या है सच
विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्रवासी मजदूरों के रहने, खाने की सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद, प्रवासी मजदूरों द्वारा अपने अपने घर जाने की ज़िद पर अड़े रहना, शायद इन मजदूरों के मन में लॉक डाउन के लंबा चलने का डर, अनिश्चितता, कोरोना वायरस का ख़तरा या फिर विपक्षी दलों की गन्दी राजनीति है, जिन्होंने प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के लिए बस या ट्रेन चलाए जाने की लगातार मांग कर इन पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाने का काम किया है, ताकि इन करोड़ों मजदूरों की सहानुभूति बटोरी जा सके। अपनी राजनीतिक मह्वाकांक्षा के खातिर विपक्षी पार्टियों ने, इन मजदूरों के साथ भारत की तमाम ग्रामीण जनता के जीवन को संकट में डाल दिया है।
› कोरोना वायरस के संक्रमण का ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने की आशंका
कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए, प्रधानमंत्री जी ने लॉक डाउन की घोषणा के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा था कि, जो जहां है वहीं रहेगा, लेकिन विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा, खासकर बिहार में, जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की मांग जोर पकड़ने लगी।
लगभग पांच करोड़ बिहारी मजदूर अलग अलग राज्यों में फैले हुए हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मुम्बई आदि जैसे प्रमुख शहर हैं और इन्हें दो गज की दूरी का पालन करते हुए हजारों किलोमीटर दूर उनके गांवों तक पहुंचाना, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना कि संक्रमण आगे ना फैले, बिल्कुल भी आसान नहीं है। अंततः श्रमिकों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की गई और प्रवासी मजदूरों के घर वापसी का रास्ता साफ हुआ। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई कि, कोरोना वायरस संक्रमण आगे ना फैले इसलिए प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से उतरते ही सीधे घर ना भेजकर, क्वारंटाइन करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
› स्वास्थय सुविधाओं की कमी के बीच कोरोना वायरस का बढ़ता ख़तरा
हम सब जानते हैं कि भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कितनी दयनीय है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में। किसी भी जटिल बीमारी का इलाज कुछ महानगरों या चंद बड़े शहरों तक ही सीमित है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दुनिया के अग्रणी देश जैसे अमेरिका, युरोप आदि कोरोना वायरस संकट से इतनी बुरी तरह से जूझ रहे हैं।
अमेरिका में अबतक 75 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं इटली में मरने वालों की तादाद 30 हजार से अधिक है और अब भी हजारों की संख्या में लोग हर रोज मर रहे हैं, ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के संक्रमण का भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने के ख़तरे से उत्पन्न स्थिति की भयावहता को महसूस किया जा सकता है।