जानिए प्लाज्मा थेरेपी क्या है और कोरोना वायरस के इलाज में यह कैसे काम करता है
कोरोना वायरस (कोविड-19) ने दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले ली है और तमाम कोशिशों के बावजूद यह रुकने का नाम नहीं ले रहा। भारत में भी कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या के साथ ही मरने वालों की तादाद में दिन प्रतदिन इजाफा होता जा रहा है। कोरोना वायरस की अबतक कोई भी सटीक दवाई उपलब्ध नहीं है, लोगों की जान बचाने और वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तरह तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सब कठीनाइयों के बीच कोरोना वायरस ने अब अपना पहचान भी बदलना शुरू कर दिया है जो इस लड़ाई को और भी अधिक चुनौती पूर्ण बनाता है। कोरोना संक्रमित रोगियों की पहचान पहले लक्षणों के आधार पर कर ली जाती थी, जैसे सर्दी- जुखाम, गले की खराश, तेज बुखार आदि, लेकिन हाल ही में यह देखा गया है कि बिना किसी लक्षण के भी कई लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं, यह कोविड-19 को और भी ज्यादा खतरनाक बनाता है। अतः इस महामारी पर अंकुश लगाना अब और भी मुश्किल हो गया है। कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों के साथ, हर रोज मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस महामारी से दुनिया को बचाने का एकमात्र तरीका है कि जल्द से जल्द इसका सटीक इलाज खोजा जाए, जो मरीजों को ठीक कर सके और उन्हें फिर से स्वस्थ बना सके।
अभी तक कोरोना वायरस का कोई सटीक इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। दुनिया भर के डॉक्टर और शोधकर्ता दिन रात एक करके इस वायरस का टीका बनाने में जुटे हुए हैं, लेकिन कोरोना वायरस की लगातार बदलती प्रकृति के कारण इस प्रक्रिया में काफी समय लग रहा है। जानकारों के मुताबिक, कोरोना वायरस का टीका/दवाई विकसित करने में अभी कम से कम एक से डेढ़ साल का समय लग सकता है।
लेकिन, इन सब कठिनाइयों के बीच एक खबर ऐसी भी आयी है जो थोड़ी राहत प्रदान करती है। हाल ही में दुनिया भर में और भारत में भी कोविड-19 के कई मरीज सफलतापूर्वक ठीक हुए हैं जो बहुत गंभीर स्थिति में थे। कोविड-19 के इन रोगियों को ठीक करने के लिए जिस उपचार विधि का उपयोग किया गया, उसे संक्षेप में कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी या केवल प्लाज्मा थेरेपी के रूप में जाना जाता है।
यह कोई नई विधि नहीं है और इससे पहले भी कई घातक बिमारियों जैसे SARS-CoV, MERS-CoV और H1N1 का इलाज इस विधि द्वारा करने में काफी मदद मिली है। कोरोना वायरस या कोविड-19 कई मायनों में SARS-CoV के समान है, इस प्रकार प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस रोगियों के लिए एक प्रभावी उपचार साबित हो सकता है। हालांकि, कोरोना वायरस के उपचार में इसकी प्रभावशीलता को जानने के लिए प्लाज्मा थेरेपी के संबंध में कई और नैदानिक परीक्षण किए जाने शेष हैं।
› रक्त प्लाज्मा क्या है?
प्लाज्मा रक्त में मौजूद तरल हिस्सा है जो रक्त की तरल प्रकृति के लिए जिम्मेदार है। प्लाज्मा के बिना रक्त हमारे शरीर में प्रवाह करने में सक्षम नहीं होगा क्योंकि यह रक्त के प्रवाह के लिए एक माध्यम प्रदान करता है और हमारे शरीर से रक्त के संचलन के लिए जिम्मेदार होता है। एंटीबॉडी की उपस्थिति जो हमारे शरीर को रोगों से प्रतिरक्षा प्रदान करती है, प्लाज्मा के भीतर निहित होती है और इस तरह प्लाज्मा मानव शरीर का एक अनिवार्य घटक बन जाता है।
प्लाज्मा पानी और प्रोटीन से बना होता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स को शरीर में प्रसारित करने के लिए एक माध्यम प्रदान करता है। इसमें प्रतिरक्षा के महत्वपूर्ण घटक भी होते हैं जिन्हें एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है।
› कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी / Convalescent Plasma Therapy (CPT) क्या है?
कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी को समझने के लिए हमें पहले यह जानना चाहिए कि एंटिबॉडी क्या हैं। जब भी कोई वायरस / रोगजन मानव शरीर पर हमला करता है, तो उससे वापस लड़ने के लिए हमारा शरीर शारीरिक प्रोटीन (जिन्हे एंटीबॉडी के रूप में जाना जाता है) को छोड़ता है। तब ये प्रोटीन या एंटीबॉडी (Antibody) रोगानुओं से लड़ते हैं और शरीर को इससे बचाने की कोशिश करते हैं। और, वह भी बिना किसी दवा या उपचार की आवश्यकता के।
इसी तरह, प्लाज्मा थेरेपी में, एक कोरोना वायरस या कोविड-19 मरीज का रक्त प्लाज्मा (Blood Plasma) जो पहले संक्रमित हुआ था और बाद में ठीक हो गया, का उपयोग गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसे कोरोना वायरस से ठीक हो चुके व्यक्ति से प्राप्त कर, गंभीर रूप से बीमार या संक्रमित रोगियों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कोरोना को हरा चुके व्यक्ति का रक्त एंटीबॉडी में समृद्ध होता है जो कोरोना वायरस से लड़ने और उसे खत्म करने में सक्षम होता है, इस प्रकार रोगी को वायरस से मुक्त करता है। ठीक हुए व्यक्ति के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी, कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त मजबूत होते हैं और इस प्रकार बीमार व्यक्ति में एंटीबॉडी क्षमता को बढ़ाकर उसे फिर से स्वस्थ बना देते हैं।
› कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी / Convalescent Plasma Therapy की प्रक्रिया क्या है?
कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी की पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है:
1. सबसे पहले, रक्त उस व्यक्ति से प्राप्त किया जाता है जो पहले से ही कोरोना वायरस या कोविड-19 से संक्रमित होकर ठीक हो चूका है।
2. फिर, रक्त को अलग कर दिया जाता है और उससे प्लाज्मा प्राप्त किया जाता है।
3. तब प्राप्त किए गए प्लाज्मा की जांच की जाती है और फिर एक गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस रोगी के रक्तप्रवाह में हस्तांतरित कर दिया जाता है।
› कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी / Convalescent Plasma Therapy के नुकसान क्या हैं?
कुछ रोगियों के लिए कोरोना वायरस या कोविड-19 के उपचार में यह पद्धति अत्यंत सफल और प्रभावी होने के अलावा, इसके कुछ गंभीर दुष्प्रभाव भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
सबसे पहले, एक ठीक हुए व्यक्ति से प्लाज्मा की एक महत्वपूर्ण मात्रा प्राप्त करना बहुत कठिन है। दूसरा, भले ही दाता मिल जाए, संभावना हो सकती है, वह किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हो। कोरोना वायरस / कोविड-19 के मामले में जहां अधिकांश पीड़ित बड़े आयु वर्ग के हैं, उनमें गंभीर बीमारी, जैसे, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आदि की संभावना काफी अधिक होती है।
यही कारण है कि यह अभी भी संदिग्ध है कि, प्रमुख कोरोना वायरस उपचार के रूप में कँवलेसेन्ट प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया जाए या नहीं।