लोन की जानकारी हिंदी में | ऋण के प्रकार, नियम और शर्तें
लोन की आवश्यकता हर किसी को हो सकती है। चाहे वह रेहड़ी पटरी चलाकर रोजी रोटी का जुगाड करने वाला मजदूर हो या अंबानी अडानी जैसे धनाढ्य उद्योगपति। कोई अपना रोज़गार शुरु करने के लिए लोन लेना चाहता है, तो किसी को अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए लोन चाहिए। इसके अलावा, मकान के लिए लोन, गाड़ी खरीदने के लिए लोन, बच्चे की पढ़ाई के लिए लोन, पर्सनल लोन, पेंशन लोन, गोल्ड लोन आदि काफ़ी पॉपुलर हैं। आजकल तो इतनी सारी बीमारियां आ गई हैं और इलाज का खर्च इतना महंगा हो गया है, कि बैंको द्वारा इलाज कराने के लिए भी लोन दिए जा रहे है। इसी तरह घर का सामान (कंज्यूमर goods) जैसे टीवी, फ्रीज, एसी आदि खरीदने के लिए भीं लोन उपलब्ध हैं। इस लेख में, हम लोन इन हिंदी के बारे में चर्चा करेंगे, और ऋण के प्रकार, ऋण से संबंधित नियम और शर्तों और ऋण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे।
इसके अलावा, यदि आपको टूरिज्म का सौक है और पैसों की कमी आपके इस शौक के आरे आ रही है, तो अब आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, आपके इस शौक को पूरा करने के लिए भी बैंक लोन उपल्ब्ध है। कहने का मतलब यह है कि, आज आपकी लगभग हरेक आवश्यकताओं के लिए अलग अलग तरह के लोन उपलब्ध हैं। अपनी जरूरतों के हिसाब से, जो भी लोन आपको सूट करता हो आप उसके लिए अप्लाई कर सकते हैं।
लेकिन विभिन्न प्रकार के लोन के लिए नियम एवं शर्तें एक सी नहीं होती। अधिकतम लोन राशि, मार्जिन मनी, लोन चुकाने की अवधि, ब्याज दर, गारंटी, कोलेटरल सिक्योरिटी( प्रापर्टी) की अनिवार्यता हरेक प्रकार के लोन के लिए अलग अलग होता है।
लोन से संबंधित नियम एवं शर्तें तथा महत्वपूर्ण टर्म्स
जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है, विभिन्न प्रकार के लोन के लिए, अलग अलग नियम एवं शर्तें होती हैं, जैसे, मार्जिन मनी, कोलेटरल सिक्योरिटी, सिबील स्कोर आदि। यहां हम लोन से संबंधित विभिन्न नियम एवं शर्तो के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। |
1. लोन राशि (Loan Amount)
लोन राशि का अर्थ है, बैंक द्वारा आपकी आवश्यकताओ के लिए जारी की जाने वाली राशि। लोन राशि का निर्धारण, आपके आवेदन के आधार पर, आपकी पात्रता, लोन लेने का उद्देश्य तथा खर्च होने वाली राशि के आधार पर तय किया जाता है। पात्रता निर्धारित करते समय, आवेदक की उम्र, लोन चुकाने की क्षमता, लोन का प्रकार, उपयोग की जाने वाली कुल राशि, लागत, मार्जिन मनी, सिबिल रिपोर्ट आदि को ध्यान में रखकर किया जाता है।
2. लोन चुकाने की क्षमता
लोन चुकाने की क्षमता का निर्धारण विभिन्न श्रोतों से आपकी आमदनी/ इनकम के आधार पर तय किया जाता है। आपके इनकम का जो भी श्रोत है( सैलरी/बिज़नेस/खेतीबाड़ी आदि), उसके आधार पर लोन राशि तथा लोन का रिपेमेंट शेड्यूल का निर्धारण किया जाता है, ताकि लोन की किस्त का समय से भुगतान किया जा सके। लोन के रिपेमेंट शेड्यूल को निर्धारित करते समय, इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि लोन का क़िस्त चुकाने के साथ साथ आप अपना घर भी चला सको। इसी बात को ध्यान में रखकर, लोन की क़िस्त, इस प्रकार निर्धारित की जाती है कि आपकी आमदनी का अधिक से अधिक आधा पैसा ही लोन के किस्त के रुप में कटता हो। अर्थात, यदि किसी व्यक्ति का मंथली इनकम 50 हज़ार रुपया है तो उस व्यक्ति द्वारा लिए गए सभी लोन को मिलाकर अधिकतम 25 हज़ार रुपया ही लोन के किस्त के रुप में काटा जा सकता है। लोन के किस्त की कटौती की अधिकतम सीमा के निर्धारण के पीछे यह तर्क है कि लोन की किस्त जमा कराने के बाद, लोन लेने वाले व्यक्ति( borrower)के पास इतना पैसा बच सके, कि परिवार का भरण पोषण सुचारू रूप से हो सके।
3. लोन चुकाने की अवधि (Repayment Schedule)
लोन चुकाने की अवधि का अर्थ है, वह अवधि, जबतक लोन की किस्त जमा करानी है। लोन राशि के निर्धारण में, लोन चुकाने की अवधि का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।लोन चुकाने की अवधि जितनी ही अधिक होगी, लोन राशि उसी अनुपात में अधिक हो जायेगी या लोन की क़िस्त कम हो जाएगी। यहां एक महत्वपूर्ण बात आपके लिए जानना आवश्यक है कि, विभिन्न प्रकार के लोन के लिए अधिकतम रिपेमेंट पीरियड निर्धारित होता है, लेकिन आप अपनी सुविधानुसार इस अवधि के अंदर अपनी रिपेमेंट पीरियड कम /ज्यादा करा सकते हैं। सबसे ज्यादा रीपेमेंट अवधि होम लोन के लिए होता है, जो अधिकतम 35 साल तक हो सकता है और सबसे कम रिपेमेंट पीरियड बिजनेस लोन के लिए होता है। कैश क्रेडिट अकाउंट के केस में लोन खाते का प्रत्येक वर्ष रिन्यूअल कराना आवश्यक होता है।
4. आवेदक की उम्र
लोन जारी किए जाते समय, आवेदक की उम्र का भी ध्यान रखा जाता है। आवेदक की उम्र के आधार पर ही कई प्रकार के लोन का रिपेमेंट पीरियड तय किया जाता है और लोन राशि निर्धारीत की जाती है। कुछ लोन के केस में, लोन लेने के लिए आवेदक की अधिकतम आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई है तो कुछ लोन के लिए 70 वर्ष। इस तरह के केस में, परिवार के कम उम्र के किसी अन्य योग्य सदस्य के साथ संयुक्त रूप से लोन लिया जा सकता है।
5. मार्जिन मनी (Margin Money)
मार्जिन मनी का अर्थ है, आवेदक/लोन लेने वाले व्यक्ति द्वारा, लोन के अतिरिक्त स्वयं अपनी ओर से खर्च की जाने वाली कुल राशि। इसे समझने के लिए, मान लो, आपको कार खरीदनी है, जिसकी प्राइस है, 5 लाख रुपए, बैंक कार के कुल प्राइस का 90% लोन दे रहा है, तो यहां 10% को मार्जिन मनी कहा जाता है, अर्थात 5 लाख का कार खरीदने के लिए 4.50 लाख रुपए बैंक देगी और 50 हज़ार रुपया आवेदक खुद वहन करेगा। मार्जिन मनी को बॉर्रोवर्स कंट्रीब्यूशन (borrowers contribution) भी कहा जाता है।
6. कोलेटरल सिक्योरिटी (Collateral Security)
सिक्योरिटी के लिहाज़ से, लोन दो प्रकार के होते हैं, सिक्योरड लोन और अनसिक्योर्ड लोन।
सिक्योर्ड लोन: सिक्योर्ड लोन वह है, जब लोन के बदले, बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति से, उसकी या उसके दोस्त या रिश्तेदार की कोई, जमीन/मकान/ दुकान आदि कोई भी अचल संपत्ति गिड़वी/मॉर्गेज रखता है। अधिकांशतः, गिड़वी रखी जाने वाले प्रॉपर्टी का मूल्य, लोन राशि से अधिक मांगा जाता है। बैंक लोन देते समय, अपने लोन राशि को सिक्योर करने के लिए, कोलेटरल सिक्योरिटी की मांग करता है ताकि, लोनी द्वारा लोन की किस्त/ब्याज राशि के भुगतान में चूक होने पर अपने पास गिड़वी रखी गई प्रॉपर्टी को आसानी से बेच कर लोन खाता बंद कर सके। बैंक के पास, रखी गई इन प्रॉपर्टी पेपर्स (जमीन/मकान/ दुकान आदि के पेपर्स) को बैंक द्वारा कोलेटरल सिक्योरिटी कहा जाता है। लोन के पुर्ण भुगतान होने तक यह प्रॉपर्टी पेपर्स बैंक के पास ही गिड़वी रखी रहती है। |
अनसिक्योर्ड लोन: वैसे लोन, जिसके लिए, बैंक किसी सिक्योरिटी/ प्रॉपर्टी की मांग नही करता तो इस प्रकार के लोन को अनसिक्योर्ड लोन कहा जाता है। मुद्रा लोन के बारे में तो सभी जानते हैं, मुद्रा लोन इसी तरह का लोन है। अन सिक्योर्ड लोन को सरकार प्रोत्साहित करती है, ताकि, सिक्योरिटी के अभाव में, कोई भी उद्यमी अपना रोजगार शुरू करने से वंचित ना रहे। |
7. प्राइमरी सिक्योरिटी (Primary Security)
प्राइमरी सिक्योरिटी हरेक प्रकार के लोन के लिए आवश्यक है। बैंक द्वारा जारी किए गए लोन की राशि का उपयोग कर, जो भी वस्तु/प्रॉपर्टी प्राप्त की जाती है या खरीदी गई है, वह बैंक की प्राईमरी सिक्योरिटी है। इस वस्तु पर बैंक का प्राथमिक अधिकार होता है। बैंक से लोन लेकर खरीदी गई, दुकान, मकान, कार, स्टॉक, मशीनरी आदि प्राईमरी सिक्योरिटी के उदाहरण हैं, जिसपर बैंक का प्रथम चार्ज दर्ज कराया जाता है। बिना बैंक की अनुमति के इस प्रकार खरीदी गई किसी भी वस्तु को बेचना या डिस्पोज्ड ऑफ़ करना अपराध की श्रेणी में आता है।
8. गारंटी (Guarantee)
गारंटी की आवश्यकता कुछ विशेष प्रकार के लोन के केस में ही होती है। हरेक लोन के लिए गारंटी आवश्यक नहीं है। यदि किसी लोन के लिए कोलेटरल सिक्योरिटी आवश्यक है और प्रॉपर्टी आवेदक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के नाम है और वह व्यक्ति उस लोन के लिए अपनी प्रॉपर्टी बैंक के पास गिड़वी रखने के लिए राजी हो जाता है, तो उस व्यक्ति को उस लोन का गारंटर कहा जाता है, वह व्यक्ति उस लोन के लिए बैंक को अपनी गारंटी देता है, अर्थात यदि लोन लेने वाला व्यक्ति लोन नहीं चुकाता है तो उस लोन को चुकाने का दायित्व गारंटर का होता है।
9. ब्याज दर (रेट ऑफ इंटरेस्ट)
ब्याज दरें भी अलग अलग तरह के लोन के लिए, अलग अलग होता है, जहां हाउस लोन पर ब्याज दर लगभग 7% है तो वहीं पर्सनल लोन पर ब्याज दर लगभग 11% होता है। इसी तरह कृषि लोन तथा व्यापारिक कार्यों से संबंधित अलग अलग प्रकार के लोन पर भीं ब्याज की दरें भिन्न भिन्न होती हैं। सिबिल स्कोर तथा रेटिंग के आधार पर भी ब्याज दर कम अधिक हों सकता है।
10. सिबिल रिपोर्ट एवं सिबिल स्कोर
सिबिल रिपोर्ट का ठीक होना, किसी भी लोन के लिए, सबसे पहली शर्त है। सिबिल स्कोर जितना ही अधिक होगा आपकी रिपोर्ट उतनी ही अच्छी मानी जाती है और कुछ लोन के केस में ब्याज दर मेंभी छुट दी जाती है। सिबिल रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की त्रुटि ना केवल आपके सिबिल स्कोर पर प्रतिकूल असर डालता है, बल्कि आपको लोन लेने से भी वंचित कर सकता है। इसी प्रकार, जिस लोन के लिए रेटिंग निकालनी आवाश्यक होती है, उन केसों में, रेटिंग का स्कोर भी लोन के ब्याज दर तथा लोन की स्वीकृति को प्राभावित कर सकता है।
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विभिन्न प्रकार के लोन | Types of Loan in Hindi
लोन राशि के किए जाने वाले उपयोग के आधार पर लोन को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जैसे, पर्सनल लोन, बिज़नेस या कमर्शियल लोन तथा कृषि लोन। |
1. पर्सनल लोन (Personal Loan in Hindi)
पर्सनल लोन, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, व्यक्तिगत कार्यों के लिए लिया जाने वाला लोन होता है और सामान्यतः यह लोन व्यक्ति या व्यक्तियों के नाम से ही स्वीकृत होता है। जैसे, मकान के लिए लोन, कार लोन, पढ़ाई के लिए लोन आदि।
2. बिज़नेस लोन/व्यापारिक कार्यों के लिए लोन (Business Loan in Hindi)
व्यापार या उद्योग धंधों से संबंधित कार्यों के लिए स्वीकृत किए जाने वाले लोन बिजनेस लोन या व्यापारिक लोन की श्रेणी में आते हैं। बिजनेस लोन नया बिजनेस या उद्योग शुरु करने या फिर पुराने बिजनेस या उद्योग के विस्तार के लिए दिए जाते हैं। बिजनेस लोन भी कई प्रकार के होते हैं, जिसे कार्य की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जैसे, कैश क्रैडिट, टर्म लोन, ओवर ड्राफ्ट, मॉर्गेज लोन , वेयर हाउस रिसिप्ट लोन आदि।
3. कृषि लोन (Krishi Loan in Hindi)
इसी प्रकार, खेतीबाड़ी से संबंधित कार्यों के लिए दिए जाने वाले लोन, कृषि लोन की श्रेणी में आते हैं, जैसे, केसीसी, डेयरी लोन, ट्रैक्टर लोन आदि।
निष्कर्ष
हो सकता है कि हमारे पास कुछ चीजें करने या कुछ चीजें खरीदने के लिए आवश्यक धन हमेशा न हो। ऐसी स्थितियों में, व्यक्ति और व्यवसाय/फर्म/संस्थान उधारदाताओं से पैसे उधार लेने के विकल्प के लिए जाते हैं।
जब कोई लोनदाता किसी व्यक्ति या संस्था को एक निश्चित गारंटी के साथ या इस विश्वास के आधार पर पैसा देता है कि प्राप्तकर्ता उधार के पैसे को कुछ अतिरिक्त लाभों के साथ चुकाएगा, जैसे कि ब्याज दर, प्रक्रिया को उधार देना या लोन लेना कहा जाता है।
एक लोन के तीन घटक होते हैं – मूलधन या उधार राशि, ब्याज दर और अवधि या अवधि जिसके लिए लोन लिया गया है। हम में से अधिकांश लोग बैंक या किसी विश्वसनीय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) से पैसा उधार लेना पसंद करते हैं क्योंकि वे सरकारी नीतियों से बंधे होते हैं और भरोसेमंद होते हैं। उधार देना किसी भी बैंक या NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) ऑफ़र के प्राथमिक वित्तीय उत्पादों में से एक है।