भारत कोरोना वायरस संकट में अवसर की तलाश
कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है, तमाम कोशिशों के बावजूद इसपर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या रोज नई ऊंचाईयों को छू रही है और साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी।
अभी तक कोरोना वायरस का कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है और ना ही कोई टीका विकसित हो पाया है जिससे इसपर काबू पाया जा सके। तमाम सक्षम देश कोरोना वायरस को हराने के लिए, इसकी दवाई और टीका विकसित करने में दिन रात एक करके लगे हैं, ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण तथा इससे होने वाली मौतों को तत्काल रोका जा सके, लेकिन अभी तक की स्थिति के हिसाब से, कोरोना वायरस की दवाई या टीका वर्ष 2021 से पहले बाज़ार में आने की संभावना कम ही दिखती है।
› कोरोना वायरस की दवा की खोज
कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवाइयों का इस्तेमाल ट्रायल के तौर पर ही किया जा रहा है, जैसे मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine), ईबोला वायरस की दवा रेमदेसिविर आदि। इसी तरह प्लाज्मा थेरेपी द्वारा भी कुछ कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का सफल इलाज़ किया गया है। भारत हाइड्रोक्सि क्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है तथा कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के उपचार में इसके महत्व को देखते हुए, अपने देश के नागरिकों के लिए इस दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई थी।
लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा, भारत से अपने नागरिकों के लिए इस दवा की मांग की गई तो भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आग्रह को स्वीकार करते हुए ना केवल अमेरिका बल्कि तमाम जरूरतमंद देशों को भी इसकी उपलब्धता सुनश्चित करवाया, जिसके लिए तमाम देशों द्वारा भारत का शुक्रिया अदा किया गया। भारत के इस कदम से पूरे विश्व में भारत की छवि एक सहयोगी राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया है।
› दो गज़ की दूरी
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने का जो सबसे ज्यादा असरदार उपाय साबित हुआ है वह है, सामाजिक दुरी रखना। भारतीय प्रधानमंत्री ने इसे सरल भाषा में दो गज़ की दूरी बनाकर रखना कहा है। सामाजिक दुरी बनाए रखने के उद्देश्य से ही लॉकडाउन की घोषणा की गई है, जो अभी भी जारी है। विश्व के अधिकांश देश, कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन का सहारा ले रहे हैं चाहे वह सरकार द्वारा घोषित हो या स्व घोषित।
› कोरोना वायरस के दुष्परिणाम
लॉकडाउन ने तमाम देशों एवं वहां के अधिकांश नागरिकों की आर्थिक स्थिति को बद से बदतर बना दिया है। उद्योग धंधे बंद परे हैं/आंशिक रूप से चल रहे हैं, कर्मचारियों/मजदूरों को उनकी नौकरी से निकाला जा रहा है। लॉकडाउन के कारण कितनी ही कंपनियां दिवालिएपन के कगार पर है। देश की अर्थवयवस्था के विकास की रफ्तार थम सी गई है। शेयर बाजारों में उठा पटक मची है। जो इन सब चीजों से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं हुआ, वो कोरोना वायरस (कोविड -19) के खौफ में जीने को मजबुर है। चारों तरफ तनाव और अनिश्चितता का माहौल कायम है, और दुनियां उनसे जूझ रही है।
समस्या कितनी ही गंभीर और दुखद क्यों न हो, उसका एक अच्छा पहलू अवश्य होता है, अर्थात जो हमें संकट देता है वह अवसर भी प्रदान करता है, यह अलग बात है कि हम इस अवसर का कितना लाभ उठा पाते हैं। कोरोना वायरस ने भी हमें तमाम खतरों के बीच कई अवसर दिए हैं।
› आर्थिक महाशक्ति बनने का अवसर
कोरोना वायरस चीन से शुरु हुआ था, जिसने बाद में विश्व महामारी का रूप धारण कर लिया। अधिकांश देश कोरोना वायरस संकट के लिए चीन को ही जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। अगर चीन ने समय रहते कार्यवाही करी होती और दुनिया को इस वायरस के बारे में सचेत कर दिया होता तो आज यह वैश्विक महामारी का रूप धारण नहीं करता और लाखों लोग इसका शिकार होने से बच सकते थे। चीन की भूमिका इस मामले में काफी संदेहास्पद रही है, यही कारण है कि कई विदेशी कंपनिया आज चीन छोड़कर अन्य देशों की ओर अपना रुख कर रही हैं, इस काम के लिए उनका देश भी उनका सहयोग कर रहा है। चीन छोड़ने वालों के लिए विकल्प के रूप में भारत एक पसंदीदा जगह है।
कोरोना वायरस संकट के दौरान भारत की भूमिका ने भी तमाम देशों को अपनी ओर आकर्षित किया है। भारत इस मौके को अपने हाथ से जाने देना नहीं चाहता और इन कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। यदि भारत इस अवसर को मौके में बदलने में कामयाब हो जाता है तो यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है, जो ना केवल यहां रोजगार के तमाम अवसर उपलब्ध कराएगी बल्कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनने में मदद करेगी।
› समय का सदुपयोग
लॉकडाउन के दौरान, जब सबकुछ बंद पड़ा था, हम अपने अपने घरों में बंद रहने को मजबुर थे। इस प्रकार, कोरोना वायरस के कारण हमें अवसर मिला अपने परिवार के साथ समय गुजारने का, जो आज के व्यस्त जिंदगी में, अक्सर कम देखने को मिलता है। कोरोना वायरस ने हमें अपने अंदर झांकने और अपने हुनर को पहचानने का महत्वपूर्ण अवसर दिया है।
› कार्यप्रणाली में बदलाव
कोरोना वायरस ने हमारे जीवन को बदल दिया है, कई चीजें, जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होना आदि अब अचानक संभव नहीं है। इसके अलावा, कई संस्थानों ने टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग द्वारा कार्यालय के बजाय घर से काम करने का तरीका अपनाया है। मीटिंग्स आदि विडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा किए जा रहे हैं। शिक्षण संस्थानों द्वारा क्लासेज और यहां तक कि कुछ परीक्षण भी ऑनलाइन हो रहे हैं। इसने नए विचारों को जन्म दिया है, जिसे कोरोना वायरस संकट के बाद भी बनाए रखा जा सकता है।
› कोरोना वायरस के दौरान सहयोग की भावना में वृद्धि
चुनौतीपूर्ण समय सामाजिक बंधन और लोगों को जोड़ने और उनकी मदद करने के अन्य तरीकों के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करता है। बेशक, दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलना नहीं हो रहा जिससे अलगाव और अकेलेपन की भावनाओं में वृद्धि हुई है। लेकिन “हम एक साथ हैं” की भावना ने भी कनेक्ट करने के दिलचस्प तरीकों को शुरू किया है। जैसे ऑनलाइन खेल, जिसे टीम बनाकर खेल सकते हैं, इसी तरह कोरोना वायरस से लड़ रहे योद्धाओं, डॉक्टर्स, नर्स, अन्य स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षा कर्मियों आदि को अपना आभार प्रकट करने के उद्देश्य से बालकनी में आकर ताली, घंटी आदि बजाना या फिर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए घर के बाहर दिया, मोमबत्ती या अन्य विधि द्वारा रोशनी करना। ये ऐसे कदम हैं जो लोगों को आपस में जोड़ने और संकट से मिलकर लड़ने और उससे उबरने में सहायक हैं।
› पर्यावरण के लिए वरदान
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में औद्योगिक गतिविधियों को बंद या काफी हद तक कम कर दिया है। सड़क यातायात में काफी कमी आई है और हवाई यातायात भी सीमित हो गया है। पर्यटन उद्योग बन्द पड़े हैं, भीड़भाड़ वाले शहरों में सड़कें खाली हैं। हालांकि यह ज्यादातर लोगों और विशेषकर प्रभावित उद्योगों में काम करने वाले लोगों के लिए बुरी खबर हो सकती है, लेकिन यह हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत अच्छी खबर है। कोविड -19, ग्रीन हाउस गैसेस और अन्य वायु, जल और भूमि प्रदूषणकारी कारकों में महत्वपूर्ण कमी का कारण बन गया है। हवा, नदियां, वातावरण सभी प्रदूषणरहित नजर आ रही है। ओज़ोन परत का क्षरण, भरने लगा है। प्रदूषण रहित वातावरण का ही असर है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ हमें अपनी नंगी आखों से दिखने लगे हैं। गंगा नदी का पानी फिर से पीने योग्य हो गया है।
तथ्य यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्सों का बंद या लॉकडाउन होना, कम से कम प्रकृति के लिए अच्छा है। कोरोना वायरस ने इतने कम समय में जो अवसर प्रदान किया है, उसे लंबे समय तक सुधार करने के लिए संकट के बाद भी जारी रखा जाना चाहिए।
› अदृश्य शक्ति का नियंत्रण
कोविड -19 महामारी एक वैश्विक संकट है जो आधुनिक समय में अभूतपूर्व है।कोरोना वायरस हमें दिखाता है कि, हम चाहे कितने भी सुनियोजित, संगठित और शक्तिशाली क्यों न हों, जीवन हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। एक साधारण वायरस सब कुछ तबाह कर रहा है। हम इस भ्रम में रहते हैं कि पूर्ण नियंत्रण संभव है। वायरस हमें सचेत करता है कि ऐसा नहीं है, बहुत सी चीजें हमारे नियंत्रण से परे है। कोरोना वायरस मानव निर्मित नहीं है लेकिन इसने पूरी धरती पर जीवन को बाधित कर दिया है।